
Janmashtami 2025: History, Significance, Vrat Katha, Puja Vidhi, and Lord Krishna FAQs | जन्माष्टमी 2025 कामहत्व, कथाऔरपूजाविधि
जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का पावन उत्सव है, जिसे पूरे भारत और विश्वभर में बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। श्रीकृष्ण को विष्णु के अष्टम अवतार के रूप में पूजा जाता है।
उनका जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था, इसलिए इस दिन को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कहा जाता है।
श्रीकृष्ण केवल एक देवता ही नहीं, बल्कि प्रेम, ज्ञान, नीति, और धर्म के प्रतीक हैं। उनके जीवन की लीलाएँ हमें सिखाती हैं कि अन्याय के सामने कभी झुकना नहीं चाहिए और सच्चाई के लिए खड़े रहना चाहिए।
Janmashtami 2025 Date & Muhurat
- Festival Date: 15 August 2025 (Friday)
- Nishita Puja Muhurat: 11:56 PM – 12:42 AM
- Parana Time (Vrat Breaking): Next day after sunrise
- Tithi Timing: Ashtami Tithi begins at 03:25 PM on August 15 and ends at 05:05 PM on August 16.
(Source: DrikPanchang)
History of Janmashtami | जन्माष्टमी का पौराणिक इतिहास
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, मथुरा के राजा कंस ने अपनी बहन देवकी और उनके पति वसुदेव को कारागार में कैद कर रखा था, क्योंकि आकाशवाणी में भविष्यवाणी हुई थी कि देवकी का आठवां पुत्र कंस का वध करेगा।
जब श्रीकृष्ण का जन्म कारागार में हुआ, तो वसुदेव जी उन्हें यमुना नदी पार करके गोकुल ले गए, जहाँ उनका पालन-पोषण नंद बाबा और यशोदा मैया ने किया।
श्रीकृष्ण के जन्म की रात को कई चमत्कार हुए – कारागार के द्वार अपने आप खुल गए, पहरेदार सो गए, और यमुना नदी ने अपना जल स्तर कम कर दिया ताकि वसुदेव जी सुरक्षित गोकुल पहुँच सकें।
Significance of Janmashtami | जन्माष्टमी का धार्मिक महत्व
- धर्म की स्थापना – श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध में अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना की।
- भक्ति और प्रेम का प्रतीक – गोपियों के साथ रासलीला, माखन चुराने की लीलाएँ, और भक्तों के साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार।
- गीता का उपदेश – उन्होंने अर्जुन को जो ज्ञान दिया, वह आज भी जीवन का मार्गदर्शन करता है।
- अन्याय का अंत – कंस और अन्य दुष्ट राजाओं का वध कर समाज में न्याय स्थापित किया।
Janmashtami Puja Vidhi (Worship Method) | जन्माष्टमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
- तिथि: 15 अगस्त 2025 (शुक्रवार)
- निशिता पूजा मुहूर्त: रात 11:56 बजे से 12:42 बजे तक
- व्रत पारण का समय: अगले दिन सूर्योदय के बाद
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जन्माष्टमी व्रत और पूजा विधि
सुबह की तैयारी
- स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- घर और मंदिर को साफ करके फूलों और दीपकों से सजाएँ।
- श्रीकृष्ण की मूर्ति को स्नान कराकर नए वस्त्र और आभूषण पहनाएँ।
पूजा सामग्री
- पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, गंगाजल)
- माखन-मिश्री
- तुलसी पत्ते
- फूल और धूप-दीप
- झूला सजाने के लिए कपड़े और मोतियों की माला
मुख्य पूजा
- शाम को भजन-कीर्तन करें।
- रात 12 बजे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाएँ।
- पंचामृत से अभिषेक कर, तुलसी के साथ भोग लगाएँ।
- आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
व्रत के नियम
- व्रत के दिन सात्त्विक भोजन लें या केवल फलाहार करें।
- प्याज, लहसुन, मांस, शराब का सेवन न करें।
- रात 12 बजे तक व्रत रखें और कृष्ण जन्म के बाद ही पारण करें।
- पूरे दिन भगवान के मंत्रों का जप करें – “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”।
Janmashtami Celebrations Across India | भारत में जन्माष्टमी का उत्सव
- मथुरा और वृंदावन – यहाँ की जन्माष्टमी विश्व प्रसिद्ध है।
- दही हांडी (महाराष्ट्र) – गोविंदा टोली मटकी फोड़ने का आयोजन करती है, जो श्रीकृष्ण के माखन चुराने की लीलाओं का प्रतीक है।
- इस्कॉन मंदिर – पूरी रात भजन-कीर्तन, प्रवचन और झूला सजाने का कार्यक्रम।
श्रीकृष्ण से जुड़ी कुछ रोचक बातें
- उनका रंग श्याम वर्ण था, इसलिए उन्हें “श्यामसुंदर” भी कहते हैं।
- वे बांसुरी के मधुर संगीत से सभी को मोहित कर लेते थे।
- उनका बचपन माखन चुराने और गोपियों संग रासलीला में बीता।
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FAQs About Janmashtami 2025 | जन्माष्टमी FAQs – Frequently Asked Questions
व्रत रखने से मन और शरीर शुद्ध होते हैं, और यह भगवान श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।
रात्रि 12 बजे, रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि के योग में।
यह श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप और माखन-चोरी की लीलाओं की स्मृति में मनाया जाता है।
नहीं, श्रीकृष्ण के भक्त पूरे विश्व में हैं और इस दिन को विभिन्न संस्कृतियों के लोग मनाते हैं।
“अच्युतम् केशवम् कृष्ण दामोदरम्” और “यशोमती मैया से बोले नंदलाला” जैसे भजन लोकप्रिय हैं।
Janmashtami falls on 15 August 2025, Friday.
It’s a spiritual practice to purify the mind and body and show devotion to Lord Krishna.
It commemorates Krishna’s playful butter-stealing acts.
Om Namo Bhagavate Vasudevaya is most popular.
Krishna was born in Mathura, in King Kansa’s prison, during Rohini Nakshatra.
Janmashtami is not just a festival—it’s a spiritual reminder of love, righteousness, and devotion. Whether you visit a temple, fast at home, or participate in Dahi Handi, the essence lies in remembering Krishna’s teachings and embodying them in daily life.
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