
पार्थिव शिवलिंग पूजन: महत्व, विधि, लाभ और निषेध | Parthiv Shivling Puja Complete Guide
हिंदू धर्म में शिवलिंग पूजन का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। विशेषकर पार्थिव शिवलिंग (मिट्टी से निर्मित शिवलिंग) का उल्लेख वेदों और पुराणों में अनेक स्थानों पर मिलता है।
स्कन्द पुराण, लिंग पुराण, और शिव महापुराण में कहा गया है कि –
“मिट्टी से बने शिवलिंग का एक बार भी विधिपूर्वक पूजन कर लिया जाए तो सहस्त्र वर्षों तक रुद्राभिषेक के पुण्य के बराबर फल मिलता है।”
पार्थिव शिवलिंग की पूजा विशेष रूप से श्रावण मास, महाशिवरात्रि, सोमवार, प्रदोष, और त्रयोदशी तिथि पर की जाती है। यह मनोकामनाओं की पूर्ति, पापों के नाश और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है।
पार्थिव शिवलिंग कैसे बनाएं? (निर्माण विधि)
- शुद्ध मिट्टी (काली या गंगा/तुलसी युक्त) लें – यदि संभव हो तो गंगा तट या गौशाला की मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है।
- पानी मिलाकर उसे गूंथ लें और शिवलिंग का आकार दें (अंगूठे जितना आकार सर्वोत्तम)।
- शिवलिंग की संख्या विषम रखें (1, 3, 5, 11, 21 आदि)। विशेष अनुष्ठानों में 108 या 1008 भी बनाए जाते हैं।
- एक थाली या ताम्रपात्र में उन्हें स्थापित करें, नीचे बेलपत्र या भोजपत्र रखें।
पार्थिव शिवलिंग पूजन विधि (Step-by-Step Puja Vidhi)
- स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें और पूजा स्थान को स्वच्छ करें।
- पार्थिव शिवलिंग को स्थापित करें।
- “ॐ नमः शिवाय“ मंत्र के साथ गंगाजल से अभिषेक करें।
- दूध, दही, शहद, घी और शक्कर से पंचामृत तैयार करें और अभिषेक करें।
- बेलपत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, सफेद चावल, कुमकुम, चंदन, धूप-दीप अर्पित करें।
- रुद्राभिषेक करें – रुद्र सूक्त, शिव चालीसा, लिंगाष्टकम् या महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।
- पूजा के बाद आरती करें और प्रसाद बांटें।
पार्थिव शिवलिंग पूजन के लाभ (Benefits)
✔ जीवन की बाधाएं दूर होती हैं
✔ धन, सुख, समृद्धि में वृद्धि
✔ विवाह में आ रही रुकावटें समाप्त होती हैं
✔ मानसिक शांति और अध्यात्मिक उन्नति
✔ रोग और कष्टों का नाश
✔ पितृ दोष, कालसर्प दोष, ग्रहदोष से मुक्ति
✔ मोक्ष की प्राप्ति और ईश्वर कृपा
क्या न करें? (Paarthiv Shivling Puja Mein Nishedh)
✖ पूजा के बाद पार्थिव शिवलिंग को घर में ना रखें
✖ जल को दुबारा प्रयोग में न लें
✖ बेलपत्र पर लिखा नाम न हो
✖ खंडित या टूटा हुआ शिवलिंग प्रयोग में न लाएं
✖ लोहे के पात्र में शिवलिंग न रखें
✖ पूजा के दौरान मांस-मदिरा, अभद्र भाषा या क्रोध से बचें
पार्थिव शिवलिंग का विसर्जन कैसे करें? (Visarjan Vidhi)
- पूजन के बाद “ॐ नमः शिवाय“ मंत्र के साथ शिवलिंग को गंगाजल या स्वच्छ जल से धोएं।
- किसी बहते जल (नदी या तालाब) में शिवलिंग का विसर्जन करें।
यदि यह संभव न हो तो किसी तुलसी/पीपल के नीचे विसर्जन कर सकते हैं। - विसर्जन करते समय यह मंत्र बोलें –
“त्वं शिवोऽसि सदा पूज्यः पुनर्मृत्तिकरूपेण गच्छ त्वं परमं पदम्।“
- उसके बाद हाथ जोड़कर भगवान शिव से क्षमा याचना करें।
विशेष सुझाव:
- श्रावण मास में प्रतिदिन पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजन करना अत्यंत पुण्यदायी होता है।
- सोमवार को व्रत के साथ पूजन करना अत्यधिक फलदायी है।
- यदि कोई विशेष मनोकामना हो, तो 21 दिन या 108 दिन तक श्रृंखलाबद्ध पूजन करें।
निष्कर्ष (Conclusion):
पार्थिव शिवलिंग पूजन मात्र एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि एक गहन आध्यात्मिक साधना है। यह जीवन को शुद्ध, स्थिर और शिवमय बनाने की यात्रा है।
जो श्रद्धा और नियम से पार्थिव शिवलिंग का पूजन करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और शिवजी की कृपा सदा बनी रहती है।
FAQs
पार्थिव शिवलिंग वह शिवलिंग होता है जो मिट्टी से बनाकर भगवान शिव की पूजा हेतु स्थापित किया जाता है।
शुद्ध मिट्टी (काली या गंगा/तुलसी युक्त) लें – यदि संभव हो तो गंगा तट या गौशाला की मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है।
पूजन के बाद “ॐनमःशिवाय” मंत्र के साथ शिवलिंग को गंगाजल या स्वच्छ जल से धोएं।
किसी बहतेजल (नदीयातालाब) में शिवलिंग का विसर्जन करें।
यदि यह संभव न हो तो किसी तुलसी/पीपल के नीचे विसर्जन कर सकते हैं।
विसर्जन करते समय यह मंत्र बोलें –
“त्वंशिवोऽसिसदापूज्यःपुनर्मृत्तिकरूपेणगच्छत्वंपरमंपदम्।”
उसके बाद हाथ जोड़कर भगवान शिव से क्षमा याचना करें।
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